हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, हज़रत आयतुल्लाह खामनेई ने अज़ादारी (नौहा, मातम और मर्सिया ख़ानी) में कुछ कार्यों के दिखावा होने या न होने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दिया है, जिसे शरई अहकाम मे रूचि रखने वालो के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है।
सवाल: अगर मसाइब पढ़ने वाला मजलिस मे माहौल बनाने के लिए रोता है या रोने का नाटक करता है, क्या यह काम रिया माना जाएगा?
जवाब: केवल इस वजह से यह रिया नहीं माना जाएगा।
सवाल: अगर मसाइब पढ़ने वाला अपनी अच्छी और मनमोहक आवाज़ में मसाइब पढ़ता है, या बिना बुलाए किसी मजलिस मे अहले बैत (अ) की मुसीबत पर मसाइब पढ़ता है, क्या यह दिखावा और रिया माना जाएगा?
जवाब: केवल इस वजह से यह रिया नहीं माना जाएगा।
स्रोतः https://www.leader.ir/fa/book
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